21 November 2024
महंगाई से डरना क्या? - कबीरदास

महंगाई से डरना क्या? - कबीरदास

इसे कहते हैं सौ सुनार की और एक लुहार की। मोदी जी ने विरोधियों की जुबान ही पूरी तरह से बंद कर दी। तेल के दाम, गैस के दाम मोदी जी अस्सी-अस्सी पैसा कर के बढ़ाएं, तब भी हर रोज कांय-कांय सुननी पड़े और दो-चार रुपया कर के बढ़ाएं तब भी कांय-कांय सुननी पड़े। और जिस रोज नहीं बढ़ाएं, उस रोज इसके ताने और कि आज तेल का विकास कैसे रुक गया? बताइए, पिछले ही हफ्ते रसोई गैस के दाम में सिर्फ साढ़े तीन रुपए बढ़ाए जाने पर विरोधी मार तमाम हंगामा खड़ा किए हुए थे। शोर मचा रहे थे कि सिलेंडर हजार के भी पार हो गया, सिलेंडर हजारी हो गया, वगैरह। पर इससे पहले जब सिलेंडर 999 रु0 50 पैसे का हुआ था, तब तो इन्होंने इतना शोर नहीं मचाया। जिन्हें पचास पैसे कम हजार रुपए के सिलेंडर से कोई खास तकलीफ नहीं थी, सिर्फ साढ़े तीन रु0 पर इतना हंगामा कर रहे थे! महज 0.3 फीसद बढ़ोतरी पर इतनी हाय-हाय कौन करता है, जी? यह सब मोदी जी की सरकार की छवि खराब करने के षडयंत्र का ही मामला है!

खैर! मोदी जी ने एक ही झटके में सबके मुंह बंद करने का इंतजाम कर दिया है और उज्ज्वला के सिलेंडर पर दो-चार रुपया नहीं, पूरे 200 रु0 की सब्सीडी का एलान कर दिया है। यानी बाकी सिलेंडर का दाम अब बारह सौ रुपए पर पहुंच जाए तब भी, उज्ज्वला का सिलेंडर अब हजार रु0 की लक्ष्मण रेखा पार नहीं करेगा। और तेल ही क्यों मोदी जी ने डीजल और पैट्रोल भी तो सस्ते कर दिए हैं और  डीजल पर अपनी उगाही में से हर लीटर पर 6 रु0 और पैट्रोल पर उगाही में 8 रु0 लीटर कम कर दिए हैं। यानी गैस-तेल में मोदी जी रिकार्ड सस्ताई लाए हैं। माना कि इससे पहले तेल-गैस के दाम में रिकार्ड तेजी भी मोदी जी ही लाए थे, लेकिन इससे सस्ताई का उनका रिकार्ड कोई छोटा नहीं हो जाता है। उल्टे इससे तो मोदी जी की छप्पन इंची छाती का ही पता चलता है--मोदी जी महंगाई-सस्ताई में भेद नहीं करते हैं, वह तो बस रिकार्ड बनाने में विश्वास करते हैं।

उन लोगों की सोच बहुत छोटी है, जो इसकी शिकायतें कर रहे हैं कि तेल-गैस के दाम तो, अब भी यूपी के चुनाव ने जहां रुकवाया था, उससे काफी ऊपर चढ़े हुए हैं। अपनी नकारात्मकता की वजह से ऐसे लोग दाम के ऊपर-नीचे होने में ही अटके रहते हैं और मोदी जी महंगाई और सस्ताई का डबल रिकार्ड बनाए हैं, उसे देखने में ही नाकाम रहते हैं। और अपनी इस नाकामी को छुपाने के लिए ही ये लोग हाय-हाय करते रहते हैं कि हजार रु0 के करीब का सिलेंडर गरीब कैसे भरवाएंगे, सौ रु0 के करीब के पैट्रोल-डीजल में लोग कैसे गुजारा चलाएंगे। गरीबों के नाम की दुहाई देने वाले ये लोग वास्तव में भारतीय गरीबों की राष्ट्रभक्ति का अपमान कर रहे हैं। रसोई गैस या पैट्रोल-डीजल छोड़ो, जरूरत हुई तो रोटी भी त्याग देगा, पर संस्कारी भारतीय गरीब, नये-नये रिकार्ड बनाने वालों का साथ देने से पीछे नहीं हटेगा! राष्ट्र का गौरव बढ़ाने का यही तो रास्ता है।

वास्तव में महंगाई, बेरोजगारी वगैरह का ज्यादा ही शोर मचाने वाले, मोदी जी के राज में जैसे ताबड़तोड़ सब का विकास हो रहा है, उसकी तरफ से ही दुनिया का ध्यान हटाना चाहते हैं। अयोध्या के बाद, वाराणसी होते हुए, जैसे हम फटाफट मथुरा पहुंचे हैं, उसकी दूसरी मिसाल दुनिया में नहीं मिलेगी। और यह तो तब है जबकि मोदी जी ने अपना मुंह खोला तक नहीं है। जिस दिन मोदी जी अपना मुंह खोलेंगे, महंगाई-बेरोजगारी की बातें करने वाले, घर-घर कटोरा लेकर घूमेंगे। नहीं क्या!


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